Rekha mishra

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लेखनी प्रतियोगिता -10-Jan-2022

                 चाँदनी रातें 

चाँदनी रात हो तुम्हारा साथ हो, 

हाथों में हाथ हो तारों की बरसात हो। 

और कुछ चाहिए जीने को, 

नहीं मेरे लिए तुम सबसे खास हो। 

                           श्वेता और निमित प्रेमी युगल हम कहानी उन दिनों की है जब श्वेता कॉलेज में थी वो जैन समाज से है तो अधिकतर मंदिर जाती थी, जैन समाज में मंदिर जाने की मानो कोई प्रथा जैसी है,काफी लोगों को प्रतिदिन बिना नागा मंदिर जाते देखा, तो श्वेता को निमित ने पहली दफा वही देखा, और फिर ये सिलसिला चलने लगा। श्वेता इतनी सीरियस निगाहों से नहीं देखती होगी, लेकिन निमित के मन में कुछ कुछ नए भाव उमड़ने लगे, उसने अपनी एक करीबी भाभी जो श्वेता को जानती थी उसका जिक्र किया, और ये भी बोल दिया लड़की पसंद है। श्वेता के कानो तक खबर पडी, वो उसके बाद मंदिर में उस लड़के को देखने लगी, फिर एक बार वहां उन भाभी ने उनकी बात भी करवा दी। निमित अच्छे परिवार का लड़का और उन्हीं के समाज का तो आते रास्ता साफ़ ही था। लेकिन इतना जल्दी श्वेता राजी नहीं थी।वो उसे  ठीक से जानना चाहती थी, उसकी आदतों के बारे में नौकरी के बारे में तो ठीक है दोनों ने फोन पर बात करना चालू किया धीरे धीरे मिलना भी। अब श्वेता को भी लड़का अच्छा लगने लगा, अब दोनों शादी के लिए तैयार ही थे, लड़के ने अपने पिता को श्वेता के घर भेजा दोनों परिवारो में बात हुई और बात पक्की अब तो दोनों खूब घूमते कभी कभी रात तक  भी श्वेता के पिताजी कठोर स्वभाव के थे पर अब कुछ नहीं बोलते थे। सगाई के बाद तो लाइसेंस मिल गया साथ घूमने का सच्चा प्यार साथ वक्त गुजारने से और बढ़ता है, कुछ ही दिनों में दोनों की शादी हो गई दोनों खुश उनके परिवार भी, सब अच्छा चल रहा है आज भी दोनों खुश हैं। ये होती है एक सच्चे प्यार की कामयाब कहानी। लड़का लड़की आज भी पहले से ही है परिवार ने भी श्वेता को बेटी की तरह ही अपनाया उसे नौकरी करने की अनुमती दी गई साथ ही पहनावे को लेकर भी रोक टोक नहीं कुल मिलाकर समझदार परिवार, हम सभी दोस्तों में ये सबसे सुलझा हुआ जोड़ा है, निमित समझदार लड़का है उसको सुनता है समझता है उसकी राय लेता है, एक सफल जोड़ा ऐसा ही होता है, वरना जो लड़के ल़डकियों को हमेशा कम समझें उनकी राय ना ले। तो वहां प्यार कम एक समझोता सा ज्यादा हुआ ।शादी तो है निभाते चलो कुछ ऐसा। निमित इतना सुलझा हुआ है कि अगर किसी दिन श्वेता को बाहर नौकरी मिलती है तो उसके साथ वहाँ जाने में उसे कोई आपत्ति नहीं क्यूंकि वो चाहता है, श्वेता खुश रहें तरक्की  करे, दोनों में अच्छा तालमेल है, ईश्वर की दया से दोनों अच्छा कमा लेते है, बस कुछ ही दिनों में परिवार में नए सदस्य के आने का भी मन बना रहें है, तब परिवार थोड़ा बड़ा और खुशनुमा हो जाएगा, 

ये कहानी मेरी बहुत अजीज सहेली के जीवन पर आधारित है। इसमे कुछ गलत नहीं, लिखते समय लगा कोई रील सामने चल रही हो। 


By-Rekha mishra 

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14 Comments

Shrishti pandey

11-Jan-2022 11:53 PM

Very nice

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Rekha mishra

11-Jan-2022 06:28 PM

Thanks

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Seema Priyadarshini sahay

11-Jan-2022 06:10 PM

बहुत खूबसूरत

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